
दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश, अज्ञानता पर ज्ञान, और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हर साल कार्तिक माह की अमावस्या के दिन मनाई जाने वाली दिवाली, न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि इसका सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी है। दिवाली के दिन लोग लक्ष्मी पूजन करते हैं, ताकि उनके घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास हो। यहाँ हम दिवाली कब है? लक्ष्मी पूजा 2024 का शुभ मुहूर्त, लक्ष्मी पूजा कब है, लक्ष्मी पूजन की विधि और इसके धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
दिवाली कब है? 2024 में
दिवाली 2024, 1 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन को पूरे देश में दीपों का त्योहार कहा जाता है, जब हर घर और गली दीयों से जगमगा उठते हैं। दिवाली के पांच दिन के त्योहार की शुरुआत धनतेरस से होती है और यह भाई दूज पर समाप्त होती है।

लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 2024
लक्ष्मी पूजन दिवाली के दिन सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान होता है। माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी घर-घर आती हैं और जिन घरों में सफाई, पूजा और दीप जलाए जाते हैं, वहां मां लक्ष्मी का वास होता है। लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ मुहूर्त चुनना बेहद आवश्यक है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि देवी लक्ष्मी की कृपा आपके जीवन में बनी रहे।
दिवाली 2024 का लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:
लक्ष्मी पूजन का समय: शाम 06:01 PM से 08:00 PM तक (स्थानानुसार यह समय बदल सकता है, इसलिए स्थानीय पंचांग की जाँच करें)।
प्रदोष काल: शाम 05:34 PM से 08:10 PM तक है।
अमावस्या तिथि: 31 अक्टूबर 2024 रात 11:34 PM से 1 नवंबर 2024 रात 10:47 PM तक है।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन कैसे करें?
लक्ष्मी पूजन एक विशेष अनुष्ठान है, जिसे पूरे विधि-विधान से किया जाता है। यहाँ लक्ष्मी पूजन की आसान और सम्पूर्ण विधि दी गई है, जिसे आप दिवाली पर कर सकते हैं:
पूजन की सामग्री:
गणेश जी और लक्ष्मी जी की मूर्ति या तस्वीर
चावल, कुमकुम, हल्दी
गंगाजल या साफ पानी
फूल, विशेष रूप से कमल का फूल
सुपारी, पान के पत्ते
धूप, दीप, कपूर
मिठाई, खील-बताशे, धनिया और चने

लक्ष्मी पूजन कि विधि:
घर की सफाई करे: लक्ष्मी जी का वास साफ-सुथरे और स्वच्छ स्थान पर होता है, इसलिए दिवाली से पहले घर की साफ-सफाई करना बहुत जरूरी होता है। मुख्य द्वार, खिड़कियाँ और पूजा स्थान विशेष रूप से साफ करें।
रंगोली और दीप जलाये: पूजा के स्थान पर रंगोली बनाएं और वहां दीपक जलाएं। ऐसा कहा जाता है कि दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और अंधकार दूर होता है।
मूर्ति स्थापना: गणेश जी और लक्ष्मी जी की मूर्ति को साफ-सुथरे स्थान पर रखें। गणेश जी को सर्वप्रथम पूजनीय माना जाता है, इसलिए पहले गणेश जी की पूजा करें।
आचमन और ध्यान: पूजा की शुरुआत आचमन से करें। आचमन का अर्थ होता है जल लेकर अपने मुंह में डालना, जिससे शरीर और मन शुद्ध होते हैं। इसके बाद ध्यान करें और गणेश जी और लक्ष्मी जी का स्मरण करें।
संकल्प: पूजा के दौरान संकल्प लेना आवश्यक है। संकल्प में आप माता लक्ष्मी से प्रार्थना करते हैं कि वे आपके घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास करें।
पूजा और मंत्रोच्चारण: गणेश जी की पूजा करने के बाद लक्ष्मी जी की पूजा करें। उनके चरणों में फूल, धूप, दीप और मिठाई अर्पित करें। साथ ही लक्ष्मी मंत्र का जाप करें:
“ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।”
“ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा”
“ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा”
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:”
“श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा”
“लक्ष्मी नारायण नम:”
“ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः”
इनमे से किसी एक मंत्र का जाप करे|
आरती करे: लक्ष्मी जी की पूजा के बाद उनकी आरती उतारें। आरती के साथ कपूर जलाएं और परिवार के सभी सदस्य हाथ जोड़कर आरती करें।
प्रसाद वितरण: पूजा के अंत में घर के सभी सदस्यों को प्रसाद वितरण करें और माता लक्ष्मी से आशीर्वाद प्राप्त करें।
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दिवाली का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
दिवाली का महत्व केवल पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह त्योहार धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी गहरा अर्थ रखता है।
धार्मिक महत्व:
दिवाली का सबसे प्रमुख धार्मिक पहलू भगवान राम की अयोध्या वापस आने से जुड़ा हुआ है। जब भगवान राम 14 वर्षों के वनवास और रावण का वध कर अयोध्या लौटे थे, तो अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत के लिए दीप जलाए थे। इसी दिन से दिवाली का त्योहार मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
इसके साथ ही, यह त्योहार धन की देवी लक्ष्मी की पूजा का भी दिन होता है। दिवाली पर ल15क्ष्मी जी का पूजन करना इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दिन उन्हें घर में सुख-समृद्धि और वैभव का प्रतीक माना जाता है।
सांस्कृतिक महत्व:
दिवाली का सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है। यह त्योहार न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में भारतीय समुदायों द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह वह समय होता है जब परिवार और मित्र एक साथ आते हैं, मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं, घर सजाए जाते हैं, और आनंदपूर्वक समय बिताया जाता है। यह पर्व सामाजिक संबंधों को और मजबूत करता है, क्योंकि लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं।
सामाजिक और आर्थिक महत्व:
दिवाली का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह आर्थिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस समय बाजार में भारी खरीदारी होती है, नए कपड़े, बर्तन, गहने, और अन्य वस्तुएँ खरीदी जाती हैं। इससे आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलता है, जिससे व्यापारियों और ग्राहकों दोनों को लाभ होता है।
निष्कर्ष:
दिवाली 2024 एक अद्भुत अवसर है, जब आप अपने परिवार के साथ मिलकर लक्ष्मी पूजन कर सकते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति कर सकते हैं। इस दिन का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व बहुत गहरा है, और इसे सही विधि और शुभ मुहूर्त में मनाने से जीवन में सकारात्मकता का आगमन होता है। लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें और इस दिवाली को अपने जीवन के लिए खास बनाएं।