
दिवाली के अगले दिन मनाया जाने वाला गोवर्धन पूजा हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। इसे अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है “अन्न का पर्वत”। गोवर्धन पूजा मुख्य रूप से भगवान कृष्ण के गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा से जुड़ा हुआ है, जो इस दिन के पीछे की पौराणिक कथा का मुख्य स्रोत है। इस दिन लोग गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं और अन्न का पर्वत बनाकर उसे भोग के रूप में अर्पित करते हैं। यहाँ हम जानेंगे गोवर्धन पूजा 2024 की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्त्व और इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएँ।
गोवर्धन पूजा 2024 की तिथि (Govardhan Puja 2024 Date)
गोवर्धन पूजा आमतौर पर दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है। 2024 में गोवर्धन पूजा का पर्व 2 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। यह त्योहार विशेष रूप से उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन देश के अन्य हिस्सों में भी इसे मनाया जाता है।

गोवर्धन पूजा 2024 का शुभ मुहूर्त (Auspicious time of Govardhan Puja 2024)
पूजा को सही समय पर करने का विशेष महत्व होता है। गोवर्धन पूजा के दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करने से इसका फल दोगुना हो जाता है। गोवर्धन पूजा 2024 का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:
प्रात: काल पूजा का समय: 06:29 AM से 08:39 AM तक।
द्वितीया तिथि आरंभ: 1 नवंबर 2024 को रात 10:47 PM से।
द्वितीया तिथि समाप्त: 2 नवंबर 2024 को रात 08:45 PM तक।
मुहूर्त के अनुसार, प्रात: काल का समय पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। इस दौरान भगवान गोवर्धन की पूजा करना और अन्नकूट का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
गोवर्धन पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व (Religious and cultural significance of Govardhan Puja)
गोवर्धन पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व अत्यधिक है। यह त्योहार हमें प्रकृति और भगवान कृष्ण की महिमा का स्मरण कराता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा का स्मरण किया जाता है।

गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा (Mythological Story of Govardhan Puja)
गोवर्धन पूजा की कहानी हमें श्रीमद्भागवत और महाभारत में विस्तार से मिलती है। इसके अनुसार, एक बार गोकुलवासी हर साल इंद्र देव की पूजा किया करते थे, ताकि वे अच्छी बारिश और अच्छी फसल प्राप्त कर सकें। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने लोगों से कहा कि उन्हें इंद्र देव की नहीं, बल्कि गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि गोवर्धन पर्वत ही उन्हें जीवन के लिए आवश्यक जल, भोजन और अन्य संसाधन प्रदान करता है।
गोकुलवासियों ने श्रीकृष्ण की सलाह मानकर इंद्र देव की पूजा बंद कर दी और गोवर्धन पर्वत की पूजा की। इंद्र देव इस बात से क्रोधित हो गए और उन्होंने गोकुल में भारी वर्षा कर दी। तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा की और सात दिनों तक लगातार बारिश से उन्हें बचाया। अंत में, इंद्र देव ने अपनी भूल का एहसास किया और भगवान कृष्ण से क्षमा याचना की। तभी से गोवर्धन पूजा की परंपरा का प्रारंभ हुआ। और लोग भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे।
प्राकृतिक संसाधनों की पूजा का प्रतीक (A symbol of worship of natural resources)
गोवर्धन पूजा प्रकृति के प्रति हमारी कृतज्ञता और सम्मान का प्रतीक है। यह पर्व हमें सिखाता है कि हमें उन प्राकृतिक संसाधनों की पूजा करनी चाहिए जो हमें जीवन प्रदान करते हैं। गोवर्धन पर्वत इस पूजा में मुख्य प्रतीक है, क्योंकि यह पर्वत गोकुलवासियों को जल, चारा और अन्य जीवनोपयोगी संसाधन प्रदान करता था। इसके माध्यम से भगवान कृष्ण ने हमें सिखाया कि हमें प्रकृति का आदर करना चाहिए और उसे संरक्षित करना चाहिए।

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्त्व (Social and cultural significance)
गोवर्धन पूजा का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह सामाजिक समरसता और एकजुटता का प्रतीक है। इस दिन लोग अपने परिवार और समाज के साथ मिलकर पूजा करते हैं और अन्नकूट का भोग तैयार करते हैं। अन्नकूट का अर्थ होता है “अन्न का पहाड़”, जो कि इस दिन बनाया जाता है। यह भोग भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है और फिर इसे प्रसाद के रूप में सभी के साथ साझा किया जाता है। यह एक सामूहिक पर्व है, जो समाज में एकजुटता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है।
गोवर्धन पूजा कैसे करें? पूजा विधि (How to perform Govardhan Puja? Puja Vidhi)
गोवर्धन पूजा को सम्पूर्ण विधि-विधान से करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
1. पूजा स्थल की तैयारी
- सबसे पहले घर का जो पूजा स्थल है उसे साफ करें।
- यदि आप गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा या प्रतीक बना रहे हैं, तो उसे भी पूजा स्थल पर रखें।
- पूजा स्थल पर रंगोली बनाएं और दीप जलाएं।
2. अन्नकूट का निर्माण
- गोवर्धन पूजा के लिए अन्नकूट तैयार करें। इसके लिए आप विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ, फल, सब्जियाँ और पकवान बना सकते हैं।
- इन सभी खाद्य पदार्थों को एक पहाड़ के रूप में सजाएं, जिसे अन्नकूट कहते हैं।
3. भगवान कृष्ण और गोवर्धन की पूजा
- भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा या प्रतीक को फूल, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित करें।
- भगवान कृष्ण का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र का जाप करें: “ऊं गोवर्धन धराय नमः।”
4. गोवर्धन परिक्रमा
- गोवर्धन पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है गोवर्धन परिक्रमा। लोग गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं और भगवान से अपनी मनोकामनाएँ पूरी होने की प्रार्थना करते हैं।
- आप घर में ही गोवर्धन के प्रतीक की परिक्रमा कर सकते हैं या मंदिर में जाकर गोवर्धन परिक्रमा कर सकते हैं।
5. प्रसाद वितरण
- पूजा के अंत में अन्नकूट का भोग भगवान को अर्पित करें और फिर इसे परिवार और समाज के सभी सदस्यों के साथ मिलकर बांटें।
- यह प्रसाद समाज में एकता और सद्भाव का प्रतीक होता है।
- गोवर्धन पूजा से जुड़ी अन्य धार्मिक मान्यताएँ
- गोवर्धन पूजा से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएँ हैं जो इसे विशेष बनाती हैं। इस पूजा के पीछे का मुख्य संदेश यही है कि हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए और भगवान की कृपा से अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने का प्रयास करना चाहिए। गोवर्धन पूजा का यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।

गोवर्धन पूजा- कृष्ण भक्ति का पर्व (Govardhan Puja – Festival of Worship of Krishna)
गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण के प्रति हमारी भक्ति को और भी प्रबल करती है। इस दिन हम भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप को पूजते हैं, जो गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण का यह रूप हमें यह सिखाता है कि जब हम सच्ची भक्ति और आस्था के साथ भगवान का स्मरण करते हैं, तो वे हमारी हर विपत्ति से रक्षा करते हैं।
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अन्न और समृद्धि का प्रतीक (Symbol of food and prosperity)
गोवर्धन पूजा के दौरान अन्नकूट का भोग बनाना इस बात का प्रतीक है कि अन्न और समृद्धि के लिए हमें प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने हमें यह सिखाया कि हमें प्रकृति के संसाधनों का सम्मान करना चाहिए और उनका सही उपयोग करना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion)
गोवर्धन पूजा 2024 एक विशेष पर्व है, जो हमें धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से समृद्ध बनाता है। इस दिन की पूजा विधि और मान्यताएँ हमें सिखाती हैं कि हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए, समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देना चाहिए और भगवान कृष्ण की भक्ति से अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए। गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त ध्यान में रखकर, सही विधि से पूजा करने से भगवान कृष्ण और गोवर्धन महाराज की कृपा आप पर बनी रहती है। इस गोवर्धन पूजा पर अन्नकूट का भोग लगाकर और परिक्रमा कर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करें।