Narak Chaturdashi 2024 नरक चतुर्दशी कब है, कैसे करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और खास परंपराएं

Narak Chaturdashi 2024: नरक चतुर्दशी जिसे छोटी दिवाली, काली चौदस, रूप चौदस, नरक निवारण चतुर्दशी और भूत चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है, दीपावली के पांच दिवसीय महोत्सव का दूसरा दिन होता है। यह दिन विशेष रूप से बुराई के विनाश, आत्मशुद्धि और सुंदरता की पूजा के लिए मनाया जाता है। 2024 में, नरक चतुर्दशी 1 नवंबर को मनाई जाएगी।

इस दिन का मुख्य उद्देश्य आत्मा और शरीर की शुद्धि करना और बुराई पर अच्छाई की जीत को मनाना है। इस लेख में हम आपको नरक चतुर्दशी से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बताएंगे, जिसमें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और परंपराएं शामिल हैं।

Narak Chaturdashi नरक चतुर्दशी 2024 में कब मनाई जायगी ?

2024 में नरक चतुर्दशी 1 नवंबर को मनाई जाएगी। यह दिन अमावस्या से एक दिन पहले आता है और इसे ‘छोटी दिवाली’ के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन, भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था, और उसके बाद से ही यह दिन बुराई के अंत और सत्य की जीत के रूप में मनाया जाता है।

Narak Chaturdashi 2024 celebrate

नरक चतुर्दशी को किन नामों से जाना जाता है?

नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली के रूप में भी जाना जाता है, दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव का दूसरा दिन होता है। यह दिन विशेष रूप से आत्मशुद्धि, बुराई के नाश और सौंदर्य की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दिन को विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों में अलग-अलग नामों और परंपराओं से मनाया जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं नरक चतुर्दशी के विभिन्न नामों और उनके पीछे के महत्व को:

1. काली चौदस

काली चौदस मुख्य रूप से गुजरात और पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में मनाई जाती है। इस दिन को भगवान काली की पूजा के लिए विशेष माना जाता है, जो बुराई के विनाश और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति दिलाने वाले देवता माने जाते हैं। लोग इस दिन को नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा पाने और सुरक्षा के लिए भगवान काली की पूजा करते हैं। काली चौदस का मुख्य उद्देश्य अंधकार, बुराई, और नकारात्मक शक्तियों का नाश करना होता है, ताकि जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि आ सके।

2. रूप चौदस

रूप चौदस, जिसे रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है, आत्म-शुद्धि और शारीरिक सुंदरता को निखारने का दिन होता है। खासकर महिलाएं इस दिन अपने रूप-रंग और सौंदर्य पर ध्यान देती हैं। परंपरागत रूप से, इस दिन लोग विशेष स्नान करते हैं, जिसमें उबटन और अन्य प्राकृतिक औषधियों का प्रयोग किया जाता है ताकि शरीर और मन दोनों की शुद्धि हो सके। ऐसा माना जाता है कि इस दिन विशेष पूजा और शरीर शुद्धि से सौंदर्य, स्वास्थ्य, और आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है।

3. छोटी दिवाली

छोटी दिवाली, जैसा कि नाम से स्पष्ट है, यह दिवाली से एक दिन पहले आने वाला त्योहार है, इसीलिए इसे छोटी दिवाली कहा जाता है। इस दिन को दिवाली के उत्सव की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है, जिसमें लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं और लक्ष्मी के आगमन के लिए तैयारी करते हैं। छोटी दिवाली का महत्व इस बात में है कि यह अमावस्या की रात के आगमन का प्रतीक है, जब अंधकार का नाश करने के लिए रोशनी का आयोजन किया जाता है।

4. नरक निवारण चतुर्दशी

नरक निवारण चतुर्दशी का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था, जो अंधकार, बुराई और पापों का प्रतीक था। नरकासुर के विनाश को अच्छाई की बुराई पर विजय के रूप में देखा जाता है। इस दिन को आत्मशुद्धि और पापों से मुक्ति के रूप में मनाया जाता है। पूजा-अर्चना के द्वारा लोग आध्यात्मिक रूप से शुद्ध होते हैं और अपने जीवन से बुराई और अंधकार को दूर करने का प्रयास करते हैं।

5. भूत चतुर्दशी

भूत चतुर्दशी नाम का एक अनूठा महत्व है, जो इस दिन बुरी आत्माओं और नकारात्मक शक्तियों से बचने के लिए दीप जलाने की प्रथा से जुड़ा है। खासकर पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में यह मान्यता है कि इस दिन विशेष दीप जलाने से बुरी आत्माओं का प्रभाव कम होता है और घर में सकारात्मकता का वास होता है। भूत चतुर्दशी को आत्माओं के शांति के लिए भी मनाया जाता है, जिसमें पूर्वजों की आत्माओं को सम्मान दिया जाता है और उनके लिए विशेष पूजा की जाती है।

नरक चतुर्दशी का सार यह है कि यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत, आत्मा की शुद्धि और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति पाने का प्रतीक है। हर स्थान और संस्कृति में इसे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है, लेकिन हर परंपरा का उद्देश्य जीवन में सकारात्मकता, शांति और समृद्धि लाना है।

दिवाली का दूसरा दिन नर्क चतुर्दशी कि शुभकामनाएँ

छोटी दिवाली को क्यों कहते हैं नरक चौदस?

छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था। इस पौराणिक कथा के अनुसार, नरकासुर ने देवी-देवताओं और पृथ्वीवासियों को बहुत परेशान कर रखा था। जब भगवान श्रीकृष्ण ने उसका वध किया, तो नरकासुर ने अपने पापों की माफी मांगी और लोगों से अपील करी कि उसकी मृत्यु के दिन को एक त्योहार के रूप में मनाया जाए। तब से इस दिन को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में माना जाता है।

नरक चतुर्दशी की कहानी क्या है?

नरक चतुर्दशी की कहानी महाभारत और पुराणों से जुड़ी हुई है। राक्षस नरकासुर ने स्वर्गलोक और पृथ्वी पर आतंक मचाया हुआ था। उसने 16,000 से अधिक कन्याओं को बंदी बना लिया था और पृथ्वी के लोगों पर अत्याचार कर रहा था। जब यह अत्याचार असहनीय हो गया, तो भगवान कृष्ण ने उसकी सेना को हराकर नरकासुर का वध किया। नरकासुर की मृत्यु के बाद, उन कन्याओं को मुक्त कर दिया गया और पृथ्वी पर शांति वापस आई। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है।

नरक चतुर्दशी की पूजा कैसे करें?

नरक चतुर्दशी के दिन पूजा की विशेष विधि है जो इस दिन को और भी पवित्र और शुभ बनाती है। यहां इस दिन की पूजा विधि बताई जा रही है:

स्नान: सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। यह स्नान अभ्यंग स्नान के नाम से जाना जाता है, जिसमें शरीर पर उबटन या तिल का तेल लगाकर स्नान किया जाता है। इसे शरीर और आत्मा की शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

दीप जलाना: इस दिन दीपक जलाने की विशेष परंपरा होती है। माना जाता है कि इस दिन दीपक जलाने से न केवल घर में रौशनी आती है, बल्कि बुरी शक्तियों का भी नाश होता है। घर के आंगन, मुख्य द्वार और तुलसी के पास दीपक जलाना शुभ माना जाता है।

भगवान की पूजा: घर में माता लक्ष्मी, गणेश जी और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें। उन्हें फूल, धूप, दीप और मिठाई चढ़ाएं।

यम दीपदान: इस दिन यमराज की पूजा करने और उनके लिए दीप जलाने की भी परंपरा है, जिससे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।

Diwali's Second day Narak Chaturdashi 2024

नरक चतुर्दशी कैसे मानते हैं?

नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली को लोग कई तरह से मनाते हैं। इस दिन घरों की सफाई की जाती है, दीप जलाए जाते हैं, और परिवार के लोग एक साथ मिलकर पूजा-अर्चना करते हैं। रात के समय दीप जलाकर घर को रौशन किया जाता है, जो अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक होता है। कुछ लोग इस दिन को रूप चौदस के रूप में मनाते हैं, जिसमें खास तौर पर रूप और सौंदर्य को निखारने के लिए उबटन लगाया जाता है।

Also Read: – Dhanteras 2024 की तिथि और पूजा का शुभ महूर्त: जानिए कब है सही दिन और क्या खरीदना शुभ

Also Read: – Diwali 2024 Date: दिवाली 31 अक्टूबर या 1 नवंबर को? जानें सही तारीख और लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त, खत्म करें सारी उलझन

Also Read: – Diwali 2024 Calendar: Accurate Dates and Auspicious Timing for the Celebration

नरक चतुर्दशी के दिन दीपक क्यों जलाते हैं?

नरक चतुर्दशी के दिन दीपक जलाने का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन दीप जलाने से घर में सुख-समृद्धि आती है और बुरी आत्माएं और बुरी शक्तियां दूर होती हैं। साथ ही, दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिससे घर के वातावरण में शांति और सौहार्द बना रहता है। इस दिन यमराज के नाम से भी दीपक जलाने की परंपरा है, जिसे ‘यम दीपदान’ कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि यम दीपदान करने से मृत्यु के बाद नरक जाने का भय समाप्त हो जाता है।

Happy Narak Chaturdashi celebrate with All in one thoughts

निष्कर्ष

नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। 2024 में यह पर्व 1 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन अभ्यंग स्नान, दीप जलाने और भगवान की पूजा करने का विशेष महत्व है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें आत्मा और शरीर की शुद्धि का संदेश भी देता है। अगर आप इस दिन को सही विधि से मनाते हैं, तो निश्चित रूप से आपके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होगा।

Share and Enjoy !

Shares
We will be happy to hear your thoughts

Leave a reply

All In One Thoughts
Logo