
नवरात्रि का पर्व नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और आराधना का समय होता है। इस पावन पर्व में हर दिन माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है। नवरात्रि के आठवें दिन, माँ महागौरी की पूजा का विशेष महत्व है। माँ महागौरी को सौंदर्य, शांति, शुद्धता और मोक्ष की देवी के रूप में पूजा जाता है। उनका स्वरूप सफेद रंग का होता है, जो पवित्रता और उज्ज्वलता का प्रतीक है। माँ महागौरी की पूजा करने से साधक को शांति, समृद्धि और जीवन में सुख की प्राप्ति होती है। यहाँ हम माँ महागौरी की पौराणिक कथा के बारे में, पूजा विधि और उनके महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे।
माँ महागौरी का स्वरूप और प्रतीक
माँ महागौरी का स्वरूप अत्यंत सौम्य और शांतिमय है। उनका रंग अत्यधिक गोरा और उज्ज्वल है, जिसके कारण उन्हें “महागौरी” कहा जाता है। उनका स्वरूप देवी पार्वती का वह रूप है, जो कठोर तपस्या और साधना के बाद प्राप्त हुआ था। उनके वस्त्र और आभूषण भी सफेद होते हैं, जिससे उनका स्वरूप अत्यंत उज्ज्वल और आकर्षक लगता है। माँ महागौरी का वाहन वृषभ (सांड) है और उनके चार हाथ होते हैं। एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे हाथ में डमरू और बाकी दो हाथ अभय और वरद मुद्रा में होते हैं, जो उनके भक्तों को आशीर्वाद और निर्भयता का संकेत देते हैं।
माँ महागौरी का यह स्वरूप न केवल पवित्रता का प्रतीक है, बल्कि यह बताता है कि कठोर तपस्या और साधना से जीवन में किसी भी प्रकार की अशुद्धि को दूर किया जा सकता है। उनके गोरे रंग को प्रतीक रूप में शुद्धता, सत्य और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है।

माँ महागौरी की पौराणिक कथा
माँ महागौरी की पौराणिक कथा देवी पार्वती की कठोर तपस्या और साधना से जुड़ी है। पुराणों के अनुसार, जब देवी पार्वती भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करना चाहती थीं, तब उन्होंने कठोर तपस्या की। इस तपस्या के दौरान देवी पार्वती ने घोर जंगलों में तप किया, जहाँ धूल और मिट्टी के कारण उनका शरीर काला हो गया। उनकी कठोर तपस्या और तप के बल को देखकर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया।
जब भगवान शिव ने देवी पार्वती के तप को देखा, तो उन्होंने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उनके शरीर को गंगाजल से धोया। इस पवित्र जल के स्पर्श से देवी पार्वती का शरीर अत्यंत गोरा और उज्ज्वल हो गया। इसी कारण उन्हें “महागौरी” कहा जाता है। उनकी तपस्या ने उन्हें अत्यधिक शक्ति और शुद्धता प्रदान की, और वे माँ दुर्गा के आठवें स्वरूप के रूप में प्रसिद्ध हो गईं।
माँ महागौरी की महिमा
माँ महागौरी की महिमा अनंत है। वे शांति, सौम्यता और शुद्धता की प्रतीक हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक शक्तियों का अंत होता है और उसे सकारात्मक ऊर्जा, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। माँ महागौरी को “कन्या पूजनीय” देवी भी कहा जाता है, इसलिए नवरात्रि के आठवें दिन “कन्या पूजन” की परंपरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है।
माँ महागौरी की उपासना से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं, और वे मोक्ष की प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ते हैं। उनकी कृपा से साधक के सभी कष्ट, दुख और जीवन की कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है, और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

माँ महागौरी की पूजा विधि
नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। उनकी पूजा के लिए कुछ विशेष विधि और सामग्री का प्रयोग किया जाता है। आइए जानते हैं माँ महागौरी की पूजा विधि:
स्नान और शुद्धिकरण: सबसे पहले प्रातःकाल स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण कर के। पूजा स्थल को शुद्ध करें और माँ महागौरी का चित्र या मूर्ति स्थापित करें।
पूजा सामग्री: माँ महागौरी की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में सफेद वस्त्र, सफेद फूल (विशेष रूप से चमेली), चंदन, अक्षत, धूप, दीपक और नैवेद्य शामिल हैं। माँ महागौरी को सफेद रंग विशेष रूप से प्रिय है, इसलिए उन्हें सफेद रंग की वस्तुएँ अर्पित किया जाता हैं।
मंत्र जाप: माँ महागौरी के लिए विशेष मंत्र का जाप करें। उनका बीज मंत्र है:
“ॐ देवी महागौर्यै नमः।”
“श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
“या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
“श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:”
“या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥”
इनमे से किसी एक मंत्र का जाप 108 बार करे |
आरती और प्रार्थना: माँ महागौरी की आरती करें और उनसे जीवन में शांति, सुख और समृद्धि अपनी सारी मनोकामना की प्रार्थना करें।
भोग अर्पण: माँ महागौरी को नारियल, सफेद मिठाई, और फल का भोग अर्पित करें। यह उन्हें अत्यंत प्रिय है और इससे उनकी कृपा प्राप्त होती है।
कन्या पूजन: नवरात्रि के आठवें दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है। इस दिन नौ कन्याओं को भोजन कराकर उनकी पूजा की जाती है, जो माँ महागौरी का रूप मानी जाती हैं।
Also Read: – मां शैलपुत्री की कथा: शक्ति, भक्ति और प्रेरणा की कहानी
Also Read: – मां ब्रह्मचारिणी की कथा: नवरात्रि के दूसरे दिन की विशेष पूजा और साधना

माँ महागौरी की कृपा से प्राप्त होने वाले फल
माँ महागौरी की पूजा से भक्त को कई दिव्य फलों की प्राप्ति होती है। उनकी कृपा से जीवन में आने वाली सभी बाधाएँ दूर होती हैं और साधक को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है। उनकी आराधना से साधक के जीवन में सौभाग्य, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की वृद्धि होती है। और सारी मनोकामनाए पूरी होती है |
इसके साथ ही, माँ महागौरी की पूजा से विवाहित जीवन में सौहार्द और शांति का संचार होता है। जो व्यक्ति सच्चे मन से उनकी आराधना करते हैं, उन्हें देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, और उनके जीवन के सभी संकट समाप्त हो जाते हैं।
निष्कर्ष
नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा विशेष रूप से शुभ और फलदायी मानी जाती है। माँ महागौरी की पौराणिक कथा हमें सिखाती है कि जीवन में शुद्धता, धैर्य और तपस्या से सभी संकटों को दूर किया जा सकता है। माँ महागौरी की आराधना करने से भक्त को जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। नवरात्रि 2024 में माँ महागौरी की पूजा करके उनके दिव्य आशीर्वाद को प्राप्त करें और अपने जीवन को सफल और शांतिमय बनाएं।