धनतेरस 2025 कब है? इसका महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और जाने इस दिन क्या खरीदना चाहिए

धनतेरस 2025 (Dhanteras 2025)

धनतेरस, जिसे ‘धन त्रयोदशी’ भी कहा जाता है, दीपावली महापर्व का पहला दिन होता है। यह पर्व विशेष रूप से धन, स्वास्थ्य और सुख-शांति का प्रतीक माना जाता है और यह दिन सुख-समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है।

हिन्दू धर्म में धनतेरस का विशेष महत्व है क्योंकि इसे भगवान धन्वंतरि और भगवान कुबेर की पूजा के साथ मनाया जाता है। इस दिन को लेकर विशेष धार्मिक मान्यताएं, पूजा विधियाँ और खरीदारी की परंपराएँ हैं, जो इसे अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती हैं। इस दिन खास तौर पर धन, स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए विशेष पूजा और खरीदारी की जाती है।
यहाँ, हम धनतेरस 2025 कब है, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, खरीदारी के सुझाव, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, धार्मिक महत्व और लोककथाएँ विस्तार से चर्चा करेंगे।

धन तेरस 2025 कब है? (Dhanteras 2025 Kab Hai?)

हमारे हिन्दू धर्म में धन तेरस का ख़ास महत्व होता है| यह पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है| इस वर्ष धनतेरस 2025 का पर्व 18 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा।  आइए जानते है 2025 धनतेरस की तारीख और शुभ मुहूर्त के बारे में: 

धनतेरस 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त (Dhanteras 2025 Date and Shubh Muhurta)

2025 धनतेरस की तिथि और शुभ मुहूर्त निम्न है: 

  • तिथि: 18 अक्टूबर 2025, शनिवार (कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि)
  • पूजा मुहूर्त: संध्या काल में, विशेष रूप से 18 अक्टूबर को शाम 7:16 से रात 8:20 बजे तक (1 घंटा 4 मिनट)
  • ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 4:43 से 5:33 बजे तक
  • प्रदोष काल: शाम 5:48 से रात 8:20 बजे तक
  • वृषभ काल: शाम 7:16 से रात 9:11 बजे तक
  • यम दीपम्: संध्या समय में घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाने की परम्परा है| इस दिन यम दीपदान का समय शाम 5:48 से रात 8:20 बजे तक का शुभ मुहूर्त है| 

इन मुहूर्तों में पूजा करने से घर में लक्ष्मी माता और धन के देवता कुबेर की कृपा बनी रहती है। धन तेरस का यह मुहूर्त धन, स्वास्थ्य और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए सबसे शुभ माना जाता है।

धनतेरस 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त (Dhanteras 2025 Date and Shubh Muhurta)

धनतेरस का त्योहार क्यों मनाया जाता है? (Why is the Festival of Dhanteras Celebrated in Hindi?)

धन तेरस हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है। इसे धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों में दीपक जलाकर धन और लक्ष्मी माता की पूजा करते हैं। धनतेरस का नाम ‘धन’ और ‘तेरस’ से मिलकर बना है, जहाँ ‘तेरस’ महीने की तेरहवीं तारीख को दर्शाता है। 

 

भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य को धन से ऊपर माना गया है। एक प्राचीन कहावत है, “पहला सुख निरोगी काया, दूसरा सुख घर में माया।” इसी वजह से दीपावली के पर्व में सबसे पहले धनतेरस (धन त्रयोदशी) को मनाया जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय कार्तिक महीने की कृष्ण त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। भगवान विष्णु ने यह अवतार चिकित्सा स्वास्थ्य के प्रसार के लिए लिया था| इसीलिए उनकी पूजा के लिए और स्वास्थ्य व समृद्धि की कामना के लिए धन तेरस का त्योहार मनाया जाता है।

धनतेरस का धार्मिक महत्व (Religious Significance of Dhanteras)

धनतेरस का पर्व भगवान धन्वंतरि (आयुर्वेदाचार्य) और भगवान कुबेर (धन के देवता) की पूजा का अवसर है। मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे, जिससे स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति हुई। वहीं, भगवान कुबेर की पूजा से घर में लक्ष्मी का वास होता है। धन तेरस का प्रमुख धार्मिक महत्व भगवान धन्वंतरि और भगवान कुबेर से जुड़ा है।

1. भगवान धन्वंतरि:
भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेदाचार्य माना जाता है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे, जिससे स्वास्थ्य और जीवन में खुशहाली आई। इस दिन उनकी पूजा करने से स्वास्थ्य में सुधार, रोगों से मुक्ति, दीर्घायु और शक्ति मिलती है।

2. भगवान कुबेर:
कुबेर धन के देवता हैं। इस दिन उनकी पूजा करने से घर में धन, समृद्धि और सुख-शांति आती है।

3. लक्ष्मी माता:
धनतेरस की रात लक्ष्मी माता की विशेष पूजा का समय है। घर को स्वच्छ और दीपों से सजाने से लक्ष्मी माता का वास होता है।
ध्यान दें: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूजा और खरीदारी से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में खुशहाली आती है।

धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi)

धनतेरस पर पूजा विधि सरल है, लेकिन इसे सही समय और विधि के अनुसार करने से अधिक लाभ होता है।

1. घर की सफाई और सजावट

  • पूजा से पहले घर और रसोई को पूरी तरह साफ करें।
  • मुख्य द्वार पर रंगोली और फूलों से सजावट करें।
  • घर के प्रत्येक कमरे में दीपक और लाइट्स लगाएं।

2. पूजा सामग्री एकत्रित करें

  • दीपक, तेल और बत्तियाँ
  • चांदी या तांबे के बर्तन
  • नैवेद्य (मिठाई, फल, फूल)
  • पवित्र जल, चंदन, अक्षत (चिउड़े)
  • भगवान धन्वंतरि और लक्ष्मी माता की मूर्तियाँ या चित्र

3. पूजा स्थान तैयार करना

  • पूजा के लिए स्वच्छ और शांत स्थान चुनें।
  • वहाँ एक चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं।
  • चौकी पर भगवान धन्वंतरि और लक्ष्मी माता की मूर्तियाँ रखें।

4. दीप जलाना और दीपमालिका सजाना

  • दीपक में तेल भरें और बत्तियाँ लगाएं।
  • मुख्य द्वार और घर के कोनों में दीपक रखें।
  • यह दीपक नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।

5. पूजा आरंभ

  • गायत्री मंत्र से पूजा की शुरुआत करें।
  • भगवान धन्वंतरि और लक्ष्मी माता की स्तुति करें।
  • नैवेद्य अर्पित करें और दीपक जलाएं।
  • धन, स्वास्थ्य और सुख-शांति के लिए विशेष प्रार्थना करें।

6. यम दीपम्

  • संध्या समय में, घर के मुख्य द्वार पर एक दीपक रखें।
  • यह दीपक यमराज के लिए अर्पित किया जाता है, जिससे घर में सुरक्षा और लंबी उम्र की प्राप्ति होती है।

7. धनतेरस मंत्र और स्तुति

धन्वंतरि मंत्र:

“ॐ श्री धन्वंतरये नमः”

लक्ष्मी स्तुति:

“ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।”

मंत्र का जाप करते समय ध्यान और श्रद्धा बनाए रखना आवश्यक है।

धनतेरस का इतिहास और लोककथाएँ

धन तेरस को लेकर कई पुरानी कथाएँ और इतिहास प्रचलित हैं:

भगवान धन्वंतरि और अमृत कलश की कथा:

समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। उनके साथ रत्न और आयुर्वेद की विधियाँ भी आईं। इसलिए धनतेरस को स्वास्थ्य और आयुर्वेद का दिन माना जाता है।

सिद्धि लक्ष्मी की पूजा की कथा:

लोक मान्यता है कि इस दिन सिद्धि लक्ष्मी और कुबेर की पूजा करने से धन की प्राप्ति होती है।

चाणक्य की कथा:

प्राचीन समय में व्यापारियों ने इस दिन धातु और बर्तन खरीदने की परंपरा शुरू की। इसे आर्थिक समृद्धि का प्रतीक माना गया।

धनतेरस पर क्या खरीदें? (Dhanteras par kya Kharide?)

धनतेरस पर खरीदारी का विशेष महत्व है। इस दिन कुछ विशेष वस्तुएं खरीदने की परंपरा है, जो धन, समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख-शांति का प्रतीक मानी जाता है: 

1. धातु की वस्तुएँ

  • सोना और चाँदी: लक्ष्मी और कुबेर की पूजा के लिए सोने और चाँदी के आभूषण सिक्के या अन्य छोटी वस्तुएं खरीदें।
  • तांबे और पीतल के बर्तन: स्वास्थ्य लाभ और घर की समृद्धि के लिए।

2. बर्तन और घरेलू उपकरण

  • नए बर्तन, विशेष रूप से रसोई के बर्तन, खरीदें।
  • इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे माइक्रोवेव, फ्रिज, वाटर हीटर आदि भी खरीदे जा सकते है| 

3. वाहन और संपत्ति

  • कुछ स्थानों पर वाहन या संपत्ति की खरीदारी शुभ मानी जाती है।
  • हालांकि, ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन वाहन या संपत्ति की खरीदारी सावधानीपूर्वक करनी चाहिए या खरीदारी से बचना चाहिए।

4. स्वास्थ्य और आभूषण

  • औषधियाँ और स्वास्थ्य उपकरण खरीदने से स्वास्थ्य में लाभ मिलता है।
  • सोने और चांदी के सिक्के घर में धन का प्रतीक माने जाते हैं।
  • याद रखें: खरीदारी करते समय घर की साफ-सफाई और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखना ज़रूरी है।

धन तेरस के साथ जुड़ी लोक परंपराएँ

  • रंगोली बनाना – घर को सजाने और लक्ष्मी माता का स्वागत करने के लिए इस दिन घरों में रंगोली बनाई जाती है।
  • दीप जलाना – नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और लक्ष्मी का वास लाने के लिए दीप जलाए।
  • मिठाई वितरण – परिवार और मित्रों में सुख और समृद्धि बाँटने के लिए मिठाई वितरण करें।
  • नए बर्तन खरीदना – इस दिन समृद्धि और घर की खुशहाली के लिए नए बर्तन खरीदे।

धनतेरस से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

  • संध्या समय में पूजा करें: धन तेरस की पूजा संध्या समय में करनी चाहिए, विशेष रूप से प्रदोष काल में पूजा अधिक फलदायी मानी जाती है।
  • घर को स्वच्छ रखें: स्वच्छता से घर में सकारात्मक ऊर्जा और माता लक्ष्मी का वास होता है।
  • दीप जलाना न भूलें: दीप जलाने से घर में लक्ष्मी माता का वास होता है तथा घर में  खुशहाली और समृद्धि आती है।
  • यम दीपम् का महत्व: यम दीपम् से घर में मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है।
  • विजय लक्ष्मी मंत्र: पूजा के दौरान यह मंत्र पढ़ना शुभ माना जाता है।
  • खरीदारी का महत्व: नए बर्तन, आभूषण और उपकरण घर में समृद्धि लाते हैं।

निष्कर्ष

 धनतेरस 2025 केवल सोना-चाँदी या धन संपत्ति खरीदने का त्योहार नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में सेहत, समृद्धि और सकारात्मकता का संदेश देने वाला पवित्र दिन है। यह दिन हमें सिखाता है कि असली “धन” सिर्फ पैसा नहीं होता, बल्कि अच्छा स्वास्थ्य, मानसिक शांति और पारिवारिक सुख ही सच्ची समृद्धि हैं। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा का विशेष महत्व होता है, क्योंकि वे आयुर्वेद और स्वास्थ्य के देवता माने जाते हैं। 

इस दिन हम उनसे उत्तम स्वास्थ्य, लंबी आयु और रोगमुक्त जीवन की कामना करते हैं। साथ ही, लक्ष्मी जी और कुबेर जी की आराधना से घर में सुख-समृद्धि और आर्थिक स्थिरता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

यह पर्व हमें यह भी याद दिलाता है कि जीवन में धन से पहले तन और मन की शुद्धता आवश्यक है। यदि स्वास्थ्य अच्छा है तो हर सफलता संभव है। इसलिए, धन तेरस के अवसर पर हमें अपने जीवन में सकारात्मक सोच, संतुलित जीवनशैली और दान की भावना को भी अपनाना चाहिए। 

आइए, इस बार धनतेरस 2025 को पूरी श्रद्धा, विश्वास और प्रेम के साथ मनाएं और अपने घर व जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि का स्वागत करें। यही धन तेरस का सच्चा अर्थ है।

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