दिवाली 2025: जाने इस साल दीवाली कब मनाई जाएगी, लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

दिवाली 2025 (Diwali 2025)

दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, यह रोशनी और खुशियों का त्योहार हम हिंदुओं का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है। दीवाली का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।

हर साल यह त्योहार पूरे देश में बड़ी ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पांच दिन का त्योहार धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज पर खत्म होता है। इस साल दिवाली 2025 की तारीख (Diwali 2025 Date) को लेकर थोड़ी उलझन है, क्योंकि पंचांग और ग्रहों की स्थिति के अनुसार तारीख को लेकर कुछ भ्रम बना हुआ है। 
तो आइए जानते है, इस साल दिवाली 2025 कब है, महालक्ष्मी की पूजा का शुभ समय, दीपावली का महत्व और घरपर इसे कैसे मनाया जाए|

“आप सभी को 2025 दिवाली की हार्दिक और मंगलमय शुभकामनाएं!
यह दीपोत्सव आपके जीवन में खुशियों, समृद्धि और उज्ज्वल भविष्य का प्रकाश भर दे।”

दीवाली 2025 कब है? (Diwali 2025 Kab Hai?)

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रदोष और रात्रि व्यापिनी अमावस्या तिथि के दिन दिवाली मनाई जाएगी। इस साल दीपावली पर कई शुभ ग्रह योग बन रहे हैं। हर साल की तरह इस बार भी दीपावली की तारीख को लेकर लोगों में थोड़ा भ्रम है। कुछ जगह 20 अक्टूबर बताया जा रहा है, तो कुछ 21 अक्टूबर। लेकिन काशी विद्वत परिषद के विद्वानों ने स्पष्ट किया है कि इस साल दिवाली 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार) को ही मनाई जाएगी। जानिए दिवाली 2025 की तिथि (Diwali 2025 Date) के बारे में|

दिवाली 2025: शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस साल कब है दीपावली?| दिवाली 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं! (Diwali 2025 Kab Hai)

दिवाली 2025 कब मनाई जाएगी? (Diwali 2025 Kab Manai Jayegi?)

काशी विद्वत परिषद ने धर्मशास्त्र और पंचांग गणना के आधार पर निर्णय लिया है।

  • 20 अक्टूबर को पूर्ण प्रदोष काल और अमावस्या तिथि दोनों का संयोग रहेगा, जो दिवाली पूजन के लिए सबसे शुभ माना गया है।
  • 21 अक्टूबर को पूजा के लिए आवश्यक “नक्त व्रत पारण काल” उपलब्ध नहीं होगा।

इसलिए, दिवाली का पर्व 20 अक्टूबर (सोमवार) को ही मनाया जाएगा।

दिवाली 2025 का शुभ मुहूर्त (Diwali 2025 Shubh Muhurt)

पूजा या आराधना के समय को “शुभ मुहूर्त” कहा जाता है, जो ग्रह-नक्षत्र आदि की स्थिति पर आधारित होता है। 2025 की दिवाली के लिए कुछ प्रमुख मुहूर्त इस प्रकार बताए गए हैं:

  • अमावस्या तिथि की शुरुआत: 20 अक्टूबर को दोपहर 3:44 बजे
  • अमावस्या तिथि का समापन: 21 अक्टूबर को शाम 5:55 बजे
  • लक्ष्मी-गणेश पूजा का शुभ समय: 20 अक्टूबर, सोमवार को शाम 7:08 बजे से रात 8:18 बजे तक

यह समय प्रदोष काल और स्थिर लग्न का संयोग है, जो देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
इस तरह 20 अक्टूबर 2025 को दिवाली मनाना सबसे उचित और शास्त्र सम्मत रहेगा। इस दिन दीप जलाकर, माँ लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।

“अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व, आपके जीवन में नई उमंगें लाए। दिवाली 2025 मुबारक हो!”

दीवाली क्यों मनाई जाती है? (Why is Diwali Celebrated in Hindi?)

दीवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत का सबसे प्रमुख और पवित्र त्योहार है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने 14 वर्ष का वनवास पूर्ण करके और रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे। प्रभु श्री राम, माता सीता और भैय्या लक्ष्मन के स्वागत में अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को दीपों से सजाया था। तभी से इस दिन को “दीपावली” के रूप में मनाया जाता है।
इसके अलावा, यह दिन माता लक्ष्मी, धन और समृद्धि की देवी की पूजा का भी विशेष पर्व है। व्यापारी वर्ग के लिए यह नया वर्ष प्रारंभ करने का शुभ अवसर माना जाता है।

दीवाली मनाने के प्रमुख कारण क्या है? (What are the Main Reasons for Celebrating Diwali in Hindi?)

दीवाली मनाने के प्रमुख कारण निम्न है, जो नीचे दिए गए है:

  • श्री राम की अयोध्या वापसी– अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक।
  • माता लक्ष्मी की पूजा– धन, वैभव और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए।
  • भगवान विष्णु के नरकासुर वध की स्मृति– बुराई के अंत का संदेश।
  • गुरु हरगोबिंद जी की जेल मुक्ति दिवस– सिखों के लिए विशेष महत्व।

इस प्रकार, दीपावली का पर्व केवल दीप जलाने का नहीं, बल्कि आत्मिक प्रकाश, प्रेम, सद्भावना और अच्छाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

दिवाली का महत्व और स्वरूप (Significance and nature of Diwali)

दीवाली का धार्मिक महत्व (Religious Significance of Diwali)

  • दिवाली को “प्रकाश पर्व” कहा जाता है क्योंकि यह अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। 
  • हिन्दू धर्म में इसे कई कथाओं से जोड़ा गया है: रावण पर श्रीराम की विजय, सीता एवं राम का अयोध्या लौटना, या नरकासुर वध की कथा। 
  • जैन धर्म में महावीर स्वामी का मोक्ष प्राप्ति दिवस माना जाता है। 
  • सिख धर्म में दिवाली को बंधी छोर दिवस (Bandi Chhor Divas) के रूप में मनाया जाता है — गुरु हरगोविंद जी की रिहाई की स्मृति में। 

सामाजिक और आत्मिक महत्व (Social and spiritual significance)

  • यह आत्म-शुद्धि, आत्मचिंतन और परिवार-सम्बंधों को मजबूत करने का अवसर है।
  • लोगों को अपनी मन की बुरी भावनाएँ, द्वेष, ईर्ष्या आदि छोड़कर नई शुरुआत करने की प्रेरणा देता है।
  • आर्थिक दृष्टि से भी यह त्योहार खरीदारी, व्यापार और बिक्री की गतिविधियों को प्रोत्साहन देता है।
  • उत्सवों में शामिल होने से सामाजिक मेल-जोल बढ़ता है और परिवार एवं मित्रों के साथ संबंध गहरे होते हैं।

“पटाखों की गूंज और दीयों की चमक से सजे आपके जीवन के पल। दिवाली की ढेरों शुभकामनाएं!”

घर पर दिवाली कैसे मनाएं (How to celebrate Diwali at home)

यह हिस्सा खास तौर पर उन लोगों के लिए है जो पहली बार दिवाली मना रहे हैं या ऑनलाइन ब्लॉग पढ़ना पसंद करते हैं।

दीवाली से पहले की तैयारी

स्वच्छता और सजावट

  • घर के हर कोने की साफ़-सफाई करें- धूल मिट्टी हटाएँ।
  • दीवारों को हल्का रंग या सफ़ाई करें।
  • रंगोली बनाएं, घर के प्रवेश-द्वार पर थल (पौधे, दीप आदि) सजाएँ।
  • गमले, मिट्टी के बर्तनों आदि से सजावट करें।

दीप, मोमबत्तियाँ और रोशनी

  • मिट्टी के दीये (दिये) तैयार रखें।
  • मोमबत्तियाँ, इलेक्ट्रिक बेल लाइट्स, फेयरी लाइट्स आदि खरीदें।
  • वैकल्पिक रूप से, LED दीप-लाइट्स का प्रयोग करें जिससे बिजली की बचत हो।

पूजा सामग्री इकट्ठा करना

  • लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति या तस्वीर
  • पवित्र जल, अक्षत (चावल), दूर्वा, पुष्प, गुड़, फल, दूग्ध, मिठाई आदि
  • अगरबत्ती, दीप तेल, घी, धूप, नैवेद्य, आरती थाली, दीपक आदि

नवीन वस्त्र और उपहार

  • दीपावली के दिन नए वस्त्र पहनने की परम्परा है- नई या साफ-सुथरी पोशाक रखें।
  • मिठाई, पकवान, उपहारों की तैयारी पहले से कर लें।

दिवाली पूजा विधि (Diwali Puja Vidhi)

नीचे एक सरल और मान्य पूजा विधि दी है जिसे अधिकांश घरों में उपयोग किया जा सकता है।

सावधानी: पूजा के दौरान मन शांत रखें और विश्वासपूर्वक करें।

स्नान और शुद्धि

  • पूजा से पहले स्नान करें और सफाई करें।
  • यदि संभव हो, हल्का व्रत रखें या हल्के व्रत को फ़ॉलो करें।

स्थापना

  • पूजा स्थान (मन्दप, पूजा कमरे) को साफ और शुद्ध रखें।
  • लाल कपड़ा बिछाएँ, बीच में लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति रखें।
  • चारों ओर अक्षत, पुष्प, दीपक आदि रखें।

प्रारंभिक मंत्र और ऊँ गायत्री / मंगलाचरण

  • “‘ॐ सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।’ जैसे शुभ मंगलाचरण मंत्र।”
  • ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं” आदि बीज मंत्र का जप करें| 

जल, पुष्प, अक्षत अर्पण

  • पवित्र जल से मूर्ति अभिषेक करें (संभव हो तो)
  • पुष्प, दूर्वा, अक्षत अर्पित करें।
  • “ॐ श्रीं लक्ष्म्यै नमः …” जैसे स्तोत्र उच्चारित करें।

दीपदान (दीप जलाना)

  • मुख्य दीप (गजपति या छोटा दीपक) लक्ष्मी जी के सामने जलाएँ।
  • चारों ओर छोटे-छोटे दीये लगाएँ।

आरती और भोग अर्पण

  • “श्री गणेश, श्री महालक्ष्म्यै नमः …” आरती करें।
  • नैवेद्य (मिठाई, फल आदि) अर्पित करें।
  • प्रसाद बाँटें (अपने परिवार, देवी-देवता व पूजास्थल के बाहर)।

प्रणाम और धन्यवाद

  • पूजा के अंत में नमन करें, धन्यवाद दें।

“आप सभी को दिवाली 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं! यह पर्व आपके जीवन में खुशियों, सफलता और समृद्धि का उजाला लेकर आए।”

अन्य दिवसीय क्रियाएँ

  • रंगोली बनाना- नियमित शाम के समय प्रवेश द्वार पर रंगोली सजाएँ।
  • पटाखे / आतिशबाज़ी- स्थानीय नियमों व पर्यावरण का ध्यान रखते हुए सीमित और सुरक्षित आतिशबाज़ी करें।
  • मिठाइयां व पकवान- घर पर या वरणीय व्यंजनों की तैयारी करें और परिवार व मित्रों में बाँटें।
  • दान और भेज़ना- जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या अन्य सामग्री दें।
  • भाई दूज- भाई-बहन के प्रेम को उत्सव में शामिल करें।

“माँ लक्ष्मी आपके घर पधारें और सुख-समृद्धि का वास करें। शुभ दीपावली!”

ध्यान देने योग्य बातें

  • स्थानीय मुहूर्त देखें- ऊपर दिए गए मुहूर्त सामान्य हैं, परन्तु आप आपके क्षेत्र (राज्य/शहर) का पंचांग देखें।
  • शक्ति और विश्वास साथ रखें- पूजा विधि से अधिक आपकी भावना और श्रद्धा महत्वपूर्ण है।
  • पर्यावरण की सोच- आवाज़-शोर कम रखें, ज़्यादा पटाखे न जलाएँ।
  • बिजली संयोजन सावधानी- रोशनी सजाते समय तारों का ओवरलोड न करें।
  • स्वच्छता महत्वपूर्ण- दिवाली के बाद सफाई करना न भूलें।

निष्कर्ष

दिवाली 2025 (Diwali 2025) एक ऐसा पावन अवसर है जब हम अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की विजय मनाते हैं। यह सिर्फ एक त्योहार नहीं — यह आत्म शुद्धि, आध्यात्मिक जागरण और पारिवारिक प्रेम का उत्सव है।
इस वर्ष दीवाली 20 अक्तूबर, सोमवार को मनाई जाएगी, और उस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करना दीक्षा और सौभाग्य को बढ़ाता है। हैप्पी दिवाली!

“खुशियों की मिठास से भरा रहे आपका हर दिन। दिवाली 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं!”

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