नवरात्रि में माँ दुर्गा की पूजा कैसे करें? चमत्कारी मंत्र और स्तोत्र

भारत की संस्कृति और परंपरा में नवरात्रि का एक विशेष महत्व है। यह पर्व माँ दुर्गा और उनके नौ रूपों की आराधना को समर्पित होता है। नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में भक्त माँ दुर्गा की पूजा, उपवास, भजन, कीर्तन और जागरण के माध्यम से अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। माना जाता है कि नवरात्रि में माता रानी की आराधना करने से भक्तों को शक्ति, बुद्धि, सुख-शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
यहाँ, हम विस्तार से समझेंगे – नवरात्रि का क्या महत्व है, माँ दुर्गा की कथा, पूजा विधि, मंत्र, स्तोत्र और माँ दुर्गा के 108 नामों का जाप।
नवरात्रि का महत्व क्या है?
“नवरात्रि” का अर्थ है नौ रातें। यह वर्ष में दो बार धूम-धाम और दो बार गुप्त रूप से मनाई जाती है:
- चैत्र नवरात्रि: मार्च–अप्रैल में
- शारदीय नवरात्रि: सितंबर–अक्टूबर में
इन दोनों नवरात्रियों में नवदुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना की जाती है। प्रत्येक दिन माता दुर्गा का एक देवी स्वरुप पूजा जाता है– शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।
यह पर्व हमें यह संदेश देता है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, अगर हम आत्मबल और श्रद्धा से डटे रहें, तो हमें विजय अवश्य प्राप्त होती है।
माँ दुर्गा की कथा
माता दुर्गा को शक्ति, साहस और विजय की देवी माना जाता है। वे आदिशक्ति हैं जिन्होंने देवताओं और संसार की रक्षा के लिए असुरों का विनाश किया। माँ दुर्गा की सबसे प्रसिद्ध कथा है – महिषासुर मर्दिनी की गाथा।
महिषासुर का अत्याचार
पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन समय में महिषासुर नाम का एक असुर था। उसने कठोर तपस्या करके भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया कि कोई भी देवता, असुर या मानव उसका वध न कर सके। वरदान पाकर महिषासुर अहंकारी हो गया और उसने तीनों लोकों में आतंक मचाना शुरू कर दिया। उसने स्वर्गलोक पर आक्रमण कर सभी देवताओं को पराजित कर दिया| वह ऋषि-मुनियों और साधारण लोगों को भयभीत कर परेशान करने लगा| महिषासुर दिन-रात पृथ्वी वासियों और देवताओं पर अत्याचार करता और स्वयं को अजेय मानने लगा|
देवताओं का संकट और आदिशक्ति का प्राकट्य
महिषासुर के अत्याचार से त्रस्त होकर सभी देवता भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महादेव के पास गए। त्रिदेवों ने अपनी-अपनी शक्तियों का संयोग किया। इस तेजस्वी शक्ति से माँ दुर्गा का जन्म हुआ। फिर सभी देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र माता दुर्गा को प्रदान किये|
- भगवान शिव ने अपना त्रिशूल प्रदान किया।
- भगवान विष्णु ने चक्र दिया।
- भगवान ब्रम्हा ने कमल का फूल दिया|
- इंद्र ने वज्र दिया।
- वरुण ने शंख दिया।
- कुबेर ने खड्ग और ढाल दी।
इस प्रकार देवी दुर्गा दस भुजाओं में विविध अस्त्र-शस्त्र धारण कर प्रकट हुईं। वे सिंह पर आरूढ़ हुईं और असुरों के विनाश के लिए प्रस्थान किया।
माँ दुर्गा और महिषासुर का युद्ध
देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ। यह युद्ध कई दिनों तक चला। महिषासुर कभी भैंस का रूप धारण करता, कभी सिंह, कभी हाथी और कभी मनुष्य। परंतु देवी दुर्गा ने अपनी शक्ति और धैर्य से उसे बार-बार परास्त किया। आखिरकार, जब महिषासुर भैंस का रूप धारण करके अत्याचार करने लगा, तब माँ दुर्गा ने अपने त्रिशूल से उसका वध किया और धर्म की रक्षा की। इस तरह महिषासुर का अंत हुआ और तीनों लोकों में शांति स्थापित हुई। इसी कारण माँ दुर्गा को “महिषासुर मर्दिनी” कहा जाता है।
कथा का महत्व
- अहंकार और अन्याय का अंत निश्चित है।
- शक्ति और साहस से असंभव को भी संभव किया जा सकता है।
- माँ दुर्गा अपने भक्तों की हर संकट और कठिनाई में हमेशा मदद करती हैं।
नवरात्रि का पर्व उनकी इसी विजय गाथा की स्मृति में हर वर्ष मनाया जाता है। नौ दिनों तक माँ दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा कर भक्त आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
नवरात्रि में माँ दुर्गा की पूजा कैसे करें?
नवरात्रि की पूजा करते समय शुद्धता, नियम और आस्था का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। यहाँ नवरात्रि में माता दुर्गा की सही पूजा विधि दी गई है:
1. कलश स्थापना (घट स्थापना)
- पूजा के प्रथम दिन कलश स्थापित किया जाता है।
- एक मिट्टी के पात्र में जौ बोएं और उस पर जल से भरा कलश रखें।
- कलश पर आम के पत्ते रखें और नारियल को लाल कपड़े में बांधकर ऊपर रखें।
- इसे ईश्वर और देवी शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
2. माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापना
- स्वच्छ स्थान पर माता दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- फूल, दीपक और अगरबत्ती से स्थान को पवित्र करें।
3. पूजन सामग्री
- लाल चुनरी, अक्षत (चावल), रोली, सिंदूर, नारियल, लौंग, इलायची, फूल और प्रसाद रखें।
4. पूजन प्रक्रिया
- सबसे पहले दीप प्रज्वलित करें और जल अर्पित करें।
- माँ को लाल वस्त्र अर्पित करें।
- फूल, अक्षत और सिंदूर चढ़ाएँ।
- दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
- आरती करें और प्रसाद बाँटें।
5. कन्या पूजन
- नवरात्रि के अंतिम दिन 9 कन्याओं का पूजन किया जाता है।
- उन्हें भोजन कराकर, उपहार देकर आशीर्वाद लिया जाता है।
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माँ दुर्गा के चमत्कारी मंत्र
माँ दुर्गा की उपासना में मंत्र जाप का विशेष महत्व है। ये मंत्र मन को शांति, आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा से भर देते हैं।
1. माँ दुर्गा का बीज मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥
2. शक्तिदायिनी मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
3. माँ दुर्गा को प्रसन्न करने का मंत्र
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोऽस्तुते॥
माँ दुर्गा स्तोत्र
नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा स्तोत्र का पाठ करने से जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
दुर्गा कवच (संक्षेप में)
- यह दुर्गा कवच 61 श्लोकों का है और माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है।
- इसे नवरात्रि में प्रतिदिन पढ़ना शुभ फल देता है।
दुर्गा चालीसा
- 40 चौपाइयों में माँ की महिमा गाई गई है।
- इसे नवरात्रि के दौरान नियमित पढ़ना अत्यंत लाभकारी है।
माँ दुर्गा के 108 नाम
नवरात्रि में देवी दुर्गा के 108 नामों का जाप अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। प्रत्येक नाम माँ के विभिन्न स्वरूप और शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है। भक्त जब इन नामों का जाप करता है तो जीवन में शक्ति, समृद्धि और शांति का संचार होता है। माता के नाम जाप करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती है| यह नाम भक्त के भीतर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करते है|
माँ दुर्गा के 108 नाम इस प्रकार हैं:
- दुर्गा
- कात्यायनी
- काली
- भवानी
- जगदंबा
- महाकाली
- शारदा
- पार्वती
- अंबिका
- त्रिपुरसुंदरी
- सति
- त्रिनेत्रा
- चित्रा
- शूलधारिणी
- पिनाकधारिणी
- त्र्यंबका
- त्रिकालज्ञा
- त्रिलोकसुंदरी
- नारायणी
- नारसिंही
- शूलिनी
- चंद्रिका
- भवमुक्ता
- जगन्माता
- जगद्धात्री
- महिषासुरमर्दिनी
- तपस्विनी
- नारायणी
- भद्रकाली
- चामुंडा
- वज्रधारिणी
- वाराही
- वैष्णवी
- ब्रह्माणी
- इंद्राणी
- कार्तिकी
- स्कंदमाता
- कालिका
- महालक्ष्मी
- महासरस्वती
- शंकराराधिता
- भद्रकाली
- दक्षयज्ञविनाशिनी
- अपर्णा
- दुर्गातरणी
- भवान्यै नमः
- भुवनेश्वरी
- जगत्पालिनी
- महेश्वरी
- गौरी
- काली
- अग्निज्वाला
- रौद्रमुखी
- कालरात्रि
- विष्णुमाया
- अन्नपूर्णा
- लक्ष्मी
- सरस्वती
- संतोषी
- रुद्राणी
- कामाक्षी
- कमलात्मिका
- मोक्षप्रदा
- भवप्रिया
- धर्मधारिणी
- सिद्धिदात्री
- महागौरी
- त्रैलोक्यमोहिनी
- भीमादेवी
- चंद्रघंटा
- ब्रह्मचारिणी
- शैलपुत्री
- कूष्मांडा
- दुर्गेश्वरी
- महामाया
- आदिशक्ति
- चंडी
- ललिता
- भुवनेश्वरी
- शिवप्रिया
- जगदंबिका
- जयदुर्गा
- मोक्षलक्ष्मी
- धर्मलक्ष्मी
- विद्यालक्ष्मी
- सौभाग्यलक्ष्मी
- वैभवलक्ष्मी
- अष्टलक्ष्मी
- त्रिनेत्रेश्वरी
- योगमाया
- भुवनेश्वरी
- हरप्रिया
- त्रिपुरभैरवी
- आनंदमयी
- भानुमती
- दक्षकन्या
- हिमादेवी
- गिरिजा
- भवप्रसन्ना
- दयामयी
- करुणामूर्ति
- कृपामयी
- भूतनाथिनी
- अजयदुर्गा
- शरणागतवत्सला
- चित्तरूपा
- सर्वमंत्रमयी
- सत्यानंदस्वरुपिणी
- अनंता
- शाम्भवी
- देवमाता
- दक्षकन्या
- सुरसुन्दरी
- कामदा
- मोक्षदा
- आराध्या
- सर्वमंगलदा
- शिवानी
- कमला
- वनदुर्गा
- निशुंभशुंभहननी
- चंडमुंडविनाशिनी
- सर्वसुरविनाशा
- सर्वदानवघातिनी
- सर्वशास्त्रमयी
- मधुकैटभहंत्री
इसी तरह 108 नामों का उच्चारण नवरात्रि में विशेष लाभदायी व फलदायी माना गया है।
माता दुर्गा के 108 नामों के जाप का महत्व
- इन नामों के जाप से मनुष्य के भीतर आत्मविश्वास और साहस जागृत होता है।
- जीवन की सभी बाधाएँ, दुख और भय दूर होते हैं।
- माँ दुर्गा की कृपा से घर में सुख, शांति और खुशहाली बनी रहती है।
- यह जाप नवरात्रि के अलावा रोज़ भी किया जा सकता है।
माता दुर्गा की पूजा से होने वाले लाभ
- जीवन से भय और नकारात्मकता दूर होती है।
- शक्ति, साहस और आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।
- घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- परिवार में सौहार्द और आपसी प्रेम बढ़ता है।
- कठिनाइयों और बाधाओं का नाश होता है।
निष्कर्ष
नवरात्रि सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि शक्ति और सकारात्मकता का उत्सव है। नवरात्रि में माँ दुर्गा की पूजा से मनुष्य को जीवन में नए उत्साह, साहस और सफलता की प्राप्ति होती है। पूजा करते समय श्रद्धा, शुद्धता और नियम का पालन अवश्य करना चाहिए।
माँ दुर्गा के मंत्रों, स्तोत्रों और 108 नामों के जाप से भक्त के जीवन में चमत्कारी बदलाव आते हैं। इसलिए इस नवरात्रि पूरे मन और विश्वास के साथ माता दुर्गा की आराधना करें और उनके आशीर्वाद से जीवन को मंगलमय बनाएं।