रक्षाबंधन 5 most story in Hindi

रक्षाबंधन: एक पवित्र बंधन की कथा

रक्षाबंधन, जिसे राखी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार भाई-बहन के अटूट बंधन और प्रेम का प्रतीक है। इस पर्व का आरंभ कब और कैसे हुआ, इसके पीछे कई कथाएं और किंवदंतियाँ हैं। यहां हम रक्षाबंधन की विभिन्न कहानियों को विस्तार से जानेंगे।

1. द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कथा

महाभारत के समय की यह कथा बहुत प्रसिद्ध है। एक बार, जब भगवान श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया, तो उनके हाथ में चोट लग गई और खून बहने लगा। द्रौपदी ने तत्काल अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण के हाथ पर बांध दिया, जिससे खून बहना रुक गया। श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की इस भेंट को राखी के रूप में स्वीकार किया और हमेशा उसकी रक्षा करने का वचन दिया। महाभारत के युद्ध के दौरान, श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाकर अपने वचन को निभाया।

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2. रानी कर्णावती और हुमायूँ की कथा

यह कथा मध्यकाल की है। चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने अपने राज्य की रक्षा के लिए मुगल सम्राट हुमायूँ से मदद मांगी। जब गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया, तो रानी कर्णावती ने हुमायूँ को राखी भेजी और उसे अपना भाई माना। हुमायूँ ने रानी कर्णावती की रक्षा के लिए अपनी सेना लेकर चित्तौड़ की ओर प्रस्थान किया, लेकिन दुर्भाग्यवश वह समय पर नहीं पहुंच सका। फिर भी, यह घटना रक्षाबंधन के प्रतीकात्मक महत्व को दर्शाती है।

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3. यम और यमी की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमराज (मृत्यु के देवता) और यमी (यमराज की बहन) की कहानी भी रक्षाबंधन से जुड़ी हुई है। एक बार, यमी ने यमराज की कलाई पर राखी बांधकर उसे अमरत्व का आशीर्वाद दिया। यमराज ने अपनी बहन यमी से वादा किया कि इस दिन को जो भी बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधेगी, उसका भाई लंबी उम्र और सुख-समृद्धि का आनंद उठाएगा। इस प्रकार, यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम और रक्षा के वचन का प्रतीक बन गया।

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4. इंद्र और इंद्राणी की कथा

यह कथा देवताओं और असुरों के युद्ध के समय की है। जब असुरों ने स्वर्गलोक पर आक्रमण किया, तो देवताओं के राजा इंद्र ने युद्ध में जाने का निर्णय लिया। इंद्र की पत्नी, इंद्राणी ने अपने पति की रक्षा के लिए विशेष रूप से एक धागा मंत्रोच्चार करके तैयार किया और उसे इंद्र की कलाई पर बांध दिया। इस धागे ने इंद्र को युद्ध में शक्ति और विजय प्रदान की। यह धागा राखी का प्रतीक बना और यह कथा भी रक्षाबंधन के महत्व को बताती है।

5. राजा बलि और देवी लक्ष्मी की कथा

भगवान विष्णु और राजा बलि की कथा भी रक्षाबंधन से जुड़ी है। भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि मांगकर उसके अहंकार का नाश किया। भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का राज्य दिया और उसके साथ रहने का वचन दिया। देवी लक्ष्मी, जो भगवान विष्णु की पत्नी थीं, ने राजा बलि को राखी बांधकर उसे अपना भाई बना लिया और उससे भगवान विष्णु को अपने साथ लौटने का वचन लिया। राजा बलि ने इस रिश्ते का मान रखते हुए भगवान विष्णु को देवी लक्ष्मी के साथ लौटने दिया। यह कथा भी रक्षाबंधन के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को उजागर करती है।

रक्षाबंधन की आधुनिक प्रथाएं और रीति-रिवाज

वर्तमान समय में, रक्षाबंधन को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहनों को उपहार देकर उनके प्रति अपने प्रेम और सम्मान को प्रकट करते हैं। राखी के दिन विशेष पकवान बनाए जाते हैं और परिवार के लोग एकत्र होकर इस पर्व का आनंद लेते हैं।

राखी बांधने की विधि

रक्षाबंधन के दिन, बहनें सबसे पहले पूजा की थाली तैयार करती हैं। इस थाली में राखी, रोली, चावल, दीपक और मिठाई होती है। भाई को पूजा की थाली के सामने बैठाया जाता है। बहनें सबसे पहले भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं, फिर उसकी कलाई पर राखी बांधती हैं। इसके बाद भाई को मिठाई खिलाकर उसकी लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं। भाई भी बहन को उपहार देकर उसकी रक्षा करने का वचन देता है।

राखी के प्रकार

आजकल बाजार में विभिन्न प्रकार की राखियां उपलब्ध हैं। सिल्क, सोने, चांदी, और मोतियों से सजी राखियां बहुत लोकप्रिय हैं। इसके अलावा, बच्चों के लिए कार्टून कैरेक्टर वाली राखियां, डिजाइनर राखियां, और हस्तनिर्मित राखियां भी प्रचलन में हैं।

रक्षाबंधन का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

रक्षाबंधन सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम को मजबूत करने के साथ-साथ परिवार के सदस्यों के बीच एकता और स्नेह को बढ़ाता है। रक्षाबंधन के दिन लोग पुराने गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं और इस पवित्र बंधन का आनंद लेते हैं।

समाज में एकता और भाईचारे का संदेश

रक्षाबंधन का पर्व समाज में एकता और भाईचारे का संदेश देता है। यह पर्व सिखाता है कि हम सभी एक-दूसरे की रक्षा और सम्मान करें। यह त्योहार हमें अपने रिश्तों को महत्व देने और उन्हें संजोकर रखने की प्रेरणा देता है।

सांस्कृतिक धरोहर

रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति की धरोहर है। यह पर्व हमारे प्राचीन इतिहास और परंपराओं से जुड़ा है। यह त्योहार न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में बसे भारतीयों द्वारा भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। रक्षाबंधन के माध्यम से भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रचार-प्रसार होता है।

रक्षाबंधन के आधुनिक परिवेश में बदलाव

समय के साथ, रक्षाबंधन के पर्व में भी कुछ बदलाव आए हैं। आजकल, जहां भाई-बहन एक-दूसरे से दूर रहते हैं, वे डाक या कोरियर के माध्यम से राखी भेजते हैं। इंटरनेट और मोबाइल फोन के माध्यम से भाई-बहन एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं।

वर्चुअल रक्षाबंधन

आजकल की व्यस्त जिंदगी में कई बार भाई-बहन एक साथ नहीं हो पाते, ऐसे में वर्चुअल रक्षाबंधन का प्रचलन बढ़ा है। बहनें वीडियो कॉल के माध्यम से अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और अपनी शुभकामनाएं देती हैं। यह नई तकनीक हमें अपनी परंपराओं को आधुनिकता के साथ जोड़ने में मदद करती है।

निष्कर्ष

रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते का पर्व है, जो हमें प्रेम, स्नेह, और समर्पण की भावना से जोड़ता है। इस पवित्र त्योहार की कहानियां और परंपराएं हमें हमारे संस्कार और संस्कृति की याद दिलाती हैं। रक्षाबंधन का महत्व सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पर्व समाज में एकता और भाईचारे का संदेश भी देता है। समय के साथ, इस पर्व में बदलाव आए हैं, लेकिन इसका मूल भाव और महत्व आज भी उतना ही प्रासंगिक है।

रक्षाबंधन का यह पवित्र पर्व हमें यह सिखाता है कि चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों, भाई-बहन का रिश्ता हमेशा मजबूत और अटूट रहेगा। इस पर्व पर हम सभी को अपने रिश्तों की अहमियत को समझना चाहिए और उन्हें संजोकर रखना चाहिए। रक्षाबंधन का त्योहार हमारे जीवन में खुशियां, प्रेम और स्नेह का संचार करता है और हमें अपने रिश्तों को और भी मजबूत बनाने की प्रेरणा देता है।

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