
नवरात्रि हिंदू धर्म का एक पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है, जो शक्ति, भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक माना जाता है। इस नौ दिवसीय महोत्सव के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिनमें से हर रूप का अपना विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की उपासना की जाती है, जिन्हें भगवान कार्तिकेय की माता कहा जाता है। उनके भक्तों के लिए यह दिन विशेष कृपा और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
मां स्कंदमाता का स्वरूप और उनकी महिमा
मां स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत शांतिपूर्ण और वात्सल्य से भरा हुआ है। उनका वाहन सिंह है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। उनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से दो में वे कमल के फूल धारण करती हैं, एक भुजा में अपने पुत्र भगवान स्कंद (कार्तिकेय) को गोद में उठाए रहती हैं, और चौथी भुजा से वे आशीर्वाद देती हैं। मां का यह स्वरूप बताता है कि जब हम भक्ति के साथ शक्ति का संचार करते हैं, तो जीवन में संतुलन और उन्नति स्वतः ही प्राप्त होती है।

मां स्कंदमाता की कथा
मां स्कंदमाता की कथा पुराणों में वर्णित है, जो भक्तों को उनके जीवन में प्रेरणा और मार्गदर्शन प्रदान करती है। कथा के अनुसार, जब राक्षस तारकासुर ने तीनों लोकों में आतंक मचाया और देवताओं को पराजित कर दिया, तो देवताओं ने भगवान शिव से सहायता की याचना की। तब शिव और पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय ने जन्म लिया और उन्होंने तारकासुर का वध किया। इस कारण माता पार्वती को स्कंदमाता कहा जाता है, जो अपने भक्तों की रक्षा करने वाली और उन्हें हर संकट से मुक्ति दिलाने वाली हैं।
एक अन्य कथा के अनुसार, जब भगवान कार्तिकेय युद्ध के लिए जा रहे थे, तब मां स्कंदमाता ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उन्हें अपनी गोद में लेकर विजय की कामना की। भगवान स्कंद ने उनकी कृपा से युद्ध में जीत हासिल की। यह कथा दर्शाती है कि मां स्कंदमाता की उपासना से सभी संकट दूर हो सकते हैं और भक्तों को सफलता प्राप्त होती है।
मां स्कंदमाता की पूजा विधि
नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा अत्यंत सरल और प्रभावशाली मानी जाती है। पूजा की विधि इस प्रकार है:
स्नान और शुद्ध वस्त्र: सबसे पहले सुबह स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को शुद्ध और पवित्र करें।
मां का ध्यान: मां स्कंदमाता का ध्यान करें। उनके सिंह वाहन और कमल धारण करने वाले स्वरूप का स्मरण करें।
मूर्ति स्थापित करें: मां स्कंदमाता की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें और दीप प्रज्वलित करें।
सुपारी और फूल अर्पित करें: मां को विशेष रूप से कमल के फूल और सुपारी अर्पित करें।
भोग अर्पित करें: मां स्कंदमाता को सफेद मिठाई जैसे खीर या मिष्ठान का भोग अर्पित करें, क्योंकि उन्हें सफेद रंग प्रिय होता है।
मंत्र जाप: “ॐ देवी स्कंदमातायै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। इस मंत्र से मां की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
आरती और प्रार्थना: अंत में मां की आरती करें और अपनी मनोकामनाएं मां के समक्ष रखें।
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मां स्कंदमाता की पूजा का महत्व
मां स्कंदमाता की पूजा करने से न केवल भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं, बल्कि वे आध्यात्मिक और मानसिक शांति भी प्राप्त करते हैं। यह दिन भक्तों के लिए अत्यंत शुभ होता है, क्योंकि मां की कृपा से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। उनकी उपासना से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
भक्तों का मानना है कि मां स्कंदमाता की कृपा से घर में सुख-शांति का संचार होता है और स्वास्थ्य तथा समृद्धि में वृद्धि होती है। इस दिन की पूजा से भक्तों को जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है और उन्हें नए अवसरों की प्राप्ति होती है।
मां स्कंदमाता की आराधना के लाभ
संकटों से मुक्ति: मां स्कंदमाता की पूजा करने से जीवन के सभी संकटों का समाधान होता है।
स्वास्थ्य और समृद्धि: उनकी कृपा से उत्तम स्वास्थ्य और आर्थिक संपन्नता प्राप्त होती है।
शांति और सुरक्षा: मां की आराधना से घर में शांति और सुरक्षा का वातावरण बना रहता है।
आध्यात्मिक उन्नति: मां की उपासना से भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

निष्कर्ष
मां स्कंदमाता की पूजा और कथा हमें यह सिखाती है कि माता का स्नेह और शक्ति दोनों ही जीवन को सुखमय और संतुलित बनाते हैं। नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की उपासना अत्यंत फलदायी होती है। उनकी कृपा से भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का संचार होता है।
इस नवरात्रि, मां स्कंदमाता की आराधना करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में सकारात्मकता और उन्नति प्राप्त करें। सच्ची भक्ति और श्रद्धा के साथ मां की पूजा करने से भक्तों को विशेष कृपा और आशीर्वाद मिलता है।